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Dhan Pati Singh Kushwaha

Tragedy

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Tragedy

परमार्थी आचरण-सुधारे पर्यावरण

परमार्थी आचरण-सुधारे पर्यावरण

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मनाकर एक दिवस केवल,

शेष दिन हम जो सो जाएंगे।

न सुधरेगा पर्यावरण कुछ भी,

केवल नारे ही जो हम लगाएंगे।


लिखें हैं लेख और कविताएं,

निकाली बहु रैलियां बढ़-चढ़।

मुफ्त का ज्ञान बहुत ही बांटा,

समस्या फिर रही है क्यों बढ़?

लगाएंगे पेड़ जो सचमुच के,

वे ही तो बस काम आएंगे।

व्हाट्सएप फेसबुक वाले सब,

असर तो कुछ भी न दिखाएंगे।


मनाकर एक दिवस केवल,

शेष दिन हम जो सो जाएंगे।

न सुधरेगा पर्यावरण कुछ भी,

केवल नारे ही जो हम लगाएंगे।


प्लास्टिक गल भी नहीं सकती,

घोलती है कुदरत में जहर भारी।

भूल जाते यह सकल ही शिक्षा,

स्वयं की आती है जब भी बारी।

जो करनी कथनी के सम होगी,

सभी जन वैसा ही कर दिखाएंगे।

न असर वाणी का कुछ भी होगा,

सीख आचरण केवल सिखाएंगे।


मनाकर एक दिवस केवल,

शेष दिन हम जो सो जाएंगे।

न सुधरेगा पर्यावरण कुछ भी,

केवल नारे ही जो हम लगाएंगे।


कर मृदा जल वायु की चिंता,

यदि प्रकृति को हम बचाएंगे।

प्रकृति मां तब करेगी पोषण,

सुख-समृद्धि तब ही पाएंगे।

न रोका लोलुपता भरा शोषण,

तो प्रलय असमय ही बुलाएंगे।

बच पाएंगे हम समय ही रहते,

आंचल वसुधा का यदि सजाएंगे।


मनाकर एक दिवस केवल,

शेष दिन हम जो सो जाएंगे।

न सुधरेगा पर्यावरण कुछ भी,

केवल नारे ही जो हम लगाएंगे।


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