भगवान्
भगवान्
सच बनाया था भगवान् ने मुझे,
और मैं, बस झूठ बन कर रह गया।
ज़िन्दगी बनना सिखाया था मुझे,
और मैं, ज़िन्दा मौत बन कर रह गया।
इन्सान बन कर आया था मैं,
हैवान बन कर भी पूजनीय हो गया।
ऐसी कलयुगी दुनिया में हूँ मैं,
जहाँ पत्थर भी भगवान् हो गया।
भगवान् ही पत्थर हो जहाँ,
सच, झूठ और झूठ, सच बन कर रह गया।
कहाँ जाऊँ, अपनी फ़रियादें ले कर के मैं,
जहाँ भगवान् भी मन्दिर, मस्जिद, गुरूद्वारा हो गया।