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Juhi Grover

Abstract Tragedy

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Juhi Grover

Abstract Tragedy

ज़िन्दगी का मतलब

ज़िन्दगी का मतलब

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ढका - छिपा था जो सब सरेआम हो गया,

ज़िन्दगी का मतलब अब बदनाम हो गया।


किसी की खुशियों की अहमियत थी कभी,

खुद के लिये सोचना ही अब आम हो गया।


इश्क़ के लिये खुद को खत्म कर लेते थे लोग,

मग़र दूसरों को परेशान करना काम हो गया।


पवित्रता को कायम रखना जो जानते थे,

जिस्म को तार तार करना तमाम हो गया।


इश्क़ तो बहाना था रूह को घायल करने का,

यूँ रूह का बलात्कार सुबह शाम हो गया।


मौत की भी दुआ करना आसान नहीं रहा,

ज़िन्दगी जीना भी अब बस इल्ज़ाम हो गया।


ढका - छिपा था जो सब सरेआम हो गया,

ज़िन्दगी का मतलब अब बदनाम हो गया।


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