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Phool Singh

Tragedy

4  

Phool Singh

Tragedy

दान- धर्म और भ्रष्टाचार

दान- धर्म और भ्रष्टाचार

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संगम, कितना सुन्दर आज धरा पर

दान, धर्म और भ्रष्टाचार

एक हाथ से काला धन लेते

फिर मुख से करते धर्म-कर्म की बात।।


पीठ के पीछे छुरा घोंपतें

दुहाई भी देते मिलकर साथ

जनता से लेते दान हमेशा

फोटों में दिखते करते दान।।


दूसरे की तरक्की बर्दाश्त न होती

सोचे, उसकी बर्बादी के उपाय वो दिन-रात

मुँह के मीठे इतने होते 

उनसे भला न दूसरा यार।।


धर्म के नाम दंगे भड़काते

रखते, मूँह में राम-रहीम और बगल में कटार

भाई-भाई का खून बहा

राजनीति करते वो दिन-रात।।


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