शिक्षक का दर्द
शिक्षक का दर्द
शिक्षा जब से व्यापार हुई ,
शिक्षक की हालत पस्त हुई।
शिक्षार्थी हुए निरंकुश सब ,
नैतिक मूल्यों की हानि हुई ।।
बिन मेहनत डिग्री मिल जाती ,
शिक्षक से टूट गया नाता ।
इसलिए बढी डिग्रियां मगर ,
अब ज्ञान नही मिलने पाता ।।
जो मेहनतकश ज्ञानी गुरुजन ,
वे जीवन जिएं अभावो में ।
भारत के भाग्य विधाता को ,
लगते सालों हक पाने में ।।
प्राइवेट शिक्षक का हो शोषण ,
वेतन भी कम वह पाता है ।
फिर भी स्वकर्म रत वह शिक्षक ,
शासन से उपेक्षा पाता है।।
शिक्षक शोषण हकमारी से ,
अज्ञान धरा पर छाएगा ।
विद्वतजन की आहो द्वारा ,
जग का उपवन मुरझाएगा ।।