Chetan Gondaliya
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मत मगरूर हो, ए तूफ़ां;
तू नातवां-बदगुमाँ।
ज़र्रा-ज़र्रा किये होंगे तूने
बड़े पहाड़ों-दरख़्तों को
हिमाक़त हो गर,
जुदा कर के दिखा;
गुल से लिपटी तितली को !
निवृत्त सेनान...
सबसे सच्चा और...
सफर जारी है.....
सूख लगे...
फ़ुरसत
समय बहरा होता...
जरूरी था...
सीख लो..
किये होंगे...