Chetan Gondalia
Abstract
इक मुद्दत से आरज़ू थी कि
फ़ुरसत मिले तो सब से मिलें...
और फ़ुरसत मिली तो इस
शर्त पर मिली के
किसी से न मिलें।
निवृत्त सेनान...
सबसे सच्चा और...
सफर जारी है.....
सूख लगे...
फ़ुरसत
समय बहरा होता...
जरूरी था...
सीख लो..
किये होंगे...
झाँक कर तुम ठीक से देखो रहीम के घर भी राम है। झाँक कर तुम ठीक से देखो रहीम के घर भी राम है।
अपना किरदार निभाकर सब चले जाते, रह जाते बस बात, विचार और व्यवहार। अपना किरदार निभाकर सब चले जाते, रह जाते बस बात, विचार और व्यवहार।
सोचों में घुल जाती है दुनिया बन जाती है फूल। सोचों में घुल जाती है दुनिया बन जाती है फूल।
विज्ञान में ना जाने विज्ञान में ना जाने
फिल्में मन पर डालती, अपना बहुत प्रभाव। उनमें कुछ सन्देश हों, संग रहे कुछ चाव।। फिल्में मन पर डालती, अपना बहुत प्रभाव। उनमें कुछ सन्देश हों, संग रहे कुछ चाव।...
मगर हवा का झोंका ऐसा आया कहीं से ले गया उड़ा कर मेरे हर उद्वेग को मगर हवा का झोंका ऐसा आया कहीं से ले गया उड़ा कर मेरे हर उद्वेग को
विवाह जीवन का आधार, मिटाये सारे ही पापाचार, वंश बेल में होती है वृद्धि सदा, विवाह जीवन का आधार, मिटाये सारे ही पापाचार, वंश बेल में होती है वृद्धि सदा...
तीन देवियां बस व्रत में ही नहीं जीवन में भी याद किया करिए तीन देवियां बस व्रत में ही नहीं जीवन में भी याद किया करिए
कभी पति के भविष्य में सुधर जाने की उम्मीद का। कभी पति के भविष्य में सुधर जाने की उम्मीद का।
प्रियतम, यह कैसी विह्वलता है यह कैसा व्यवधान यह कैसी शिथिल मुस्कान यह कैसा अनुमान ? प्रियतम, यह कैसी विह्वलता है यह कैसा व्यवधान यह कैसी शिथिल मुस्कान यह क...
सुदामा कृष्ण जैसी दोस्ती तेरी मेरी यारा, "कमल" भूखा तू है तो मैं निवाला खा नहीं सकता। सुदामा कृष्ण जैसी दोस्ती तेरी मेरी यारा, "कमल" भूखा तू है तो मैं निवाला खा नह...
जानना है मुझे, क्या है क्षितिज के उस पार होगा दृष्टिगोचर एक विशाल, शून्य ,खालीपन जानना है मुझे, क्या है क्षितिज के उस पार होगा दृष्टिगोचर एक विशाल, शून्य ,खा...
कुछ अनजाने भी, निस्वार्थ साथ देते हैं कविताओं के जन्म लेने से कुछ अनजाने भी, निस्वार्थ साथ देते हैं कविताओं के जन्म लेने से
मरे हुए सपनों का तर्पण नही होता, वह भटकती रहती है यहाँ से वहाँ। मरे हुए सपनों का तर्पण नही होता, वह भटकती रहती है यहाँ से वहाँ।
जिसे सुन लोग कहें दर्द का क्या है है यह आनी जानी जिसे सुन लोग कहें दर्द का क्या है है यह आनी जानी
उसके राज्य की राक्षसी भी सीता की माता जैसी थी। उसके राज्य की राक्षसी भी सीता की माता जैसी थी।
जो कुदरत की देन, करूं उसे खुशी खुशी स्वीकार उसे संवारूं सजाऊं उसकी नेमत मान- जो कुदरत की देन, करूं उसे खुशी खुशी स्वीकार उसे संवारूं सजाऊं उसकी नेमत...
क्या है ना मुहब्बत का तो दस्तूर ही यही है, जितनी सच्ची हो उतनी ही अधूरी रही है। क्या है ना मुहब्बत का तो दस्तूर ही यही है, जितनी सच्ची हो उतनी ही अधूरी रही ह...
हम हमारे देश को बेहतर बनाना चाहते। जोश है जज़्बा भी है और प्यार भी इस दिल में है। हम हमारे देश को बेहतर बनाना चाहते। जोश है जज़्बा भी है और प्यार भी इस दिल में ...
इन्द्रधनुष सा बचपन सात से भी कहीं अधिक रंग बिखेरता है! इन्द्रधनुष सा बचपन सात से भी कहीं अधिक रंग बिखेरता है!