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Kusum Joshi

Abstract

5.0  

Kusum Joshi

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जीवन : एक रण

जीवन : एक रण

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651


जीवन क्या है ?

एक रण है,

तकलीफों और जज्बे का,

कष्टों का और हिम्मत का,


कार्य कुशलता और अनुशासन,

इच्छाएं और स्वशासन,

दृढ़ निश्चय और शंकाएं,

द्वन्द कई और शिक्षाएं,


कभी दौड़ना राहों में और,

कभी ठहर चिंतन करना,

कभी अडिग स्थिर हो जाना,

सर कभी झुका वंदन करना,


कभी प्रेम की परछाई है,

सुलभ सरल सी अंगड़ाई है,

कभी कठिन से संघर्षों में,

ख़ुद की ख़ुद से लड़ाई है,


राहों में गुमराह कभी हो,

चलते चलते गिर जाना,

और सम्हलकर ख़ुद से ही,

एक बार पुनः फ़िर उठ जाना,


गिरकर फिर से उठने का,

कई बार टूटकर जुड़ने का,

जीवन क्या है ?

एक रण है,

तकलीफों और जज्बे का,

कष्टों का और हिम्मत का,


इस रण में वही विजेता है,

जो लड़ने की हिम्मत रखता है,

लाख गिरे पर राहों में,

उठने की हिम्मत रखता है,


जो हार के डर से भाग कभी,

चलने की कोशिश नहीं करे,

वो क्या गिरेगा राहों में,

जो रेंग रेंग कर चला करे,


मन की सभी निराशाओं पर,

जो आशा के रंग चढ़ाता है,

जीवन की मंज़िल उसकी,

जो ख़ुद से लड़ता बढ़ता जाता है,


ठोकर को सीढ़ी बना,

चढ़ जाता छूने उत्तुंग शिखर,

धरती की धूल लगा मस्तक पर,

वही जीतता जीवन अम्बर,


कमज़ोरी और मजबूती का,

डर हार जीत विभूति का,

जीवन क्या है?

एक रण है,

तकलीफों और जज्बे का,

कष्टों का और हिम्मत का।


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