Chetan Gondaliya

Action Inspirational

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Chetan Gondaliya

Action Inspirational

निवृत्त सेनानी

निवृत्त सेनानी

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गिनो न तुम मेरी निवृत्त श्वास,

संजोए बैठा अभी भी राष्ट्र सेवा की आश।

छुए भी क्यों मुझे विपुल सम्मान ?


भले ही भूलो ऐ इतिहास,

तुम्हें मुबारक खरीदे हुए विश्व-ईमान !

मैं तो करूं अरि-मुड़ों का दान,

रक्त-तर्पण भर का अभिमान,


आजन्म लड़ने तक महमान,

एक पँजी है तीर-कमान!

मुझे भूलने में सुख पाती,

जग की काली स्याही,


दस कोसों दूर, भले बैठी समृध्दी-किर्ती;

आश्वस्थ हूँ देख नई जवानी,

गढ लूं इसे, ये केसरी लहू की रवानी,


है महंगी बड़ी, न हो अब कोई कोताही, 

भारत का मैं हूँ एक सिपाही !


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