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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Classics Inspirational

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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Classics Inspirational

दरिया संग रहकर

दरिया संग रहकर

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दरिया संग रहकर,

दरख़्त सूख जाते है।

जिन्हें उल्फ़त नहीं मिलती,

वो अक्सर टूट जाते हैं।


मेरी महबूब बन कर तुम,

दिखावा क्यों करती हो ?

चेहरे पर मुखौटे हो,

तो रिश्ते टूट जाते हैं।


निभाना है जिन्हें रिश्ता,

वो लब नहीं कहते।

सुनाते हैं लबों से जो,

वक्त पर रूठ जाते हैं।


हौसले बुलंद हो तो,

मंजिल मिल ही जाती हैं।

वरना साहिल से मिल कर,

भी सफ़ीने डूब जाते हैं।


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