छु कर देखू तुम्हे
छु कर देखू तुम्हे
आँखों में चुभते रहते हैं
तुम्हारे साथ होने के सपने
अक्सर मुझे तकलीफ देते हैं।
बंद आंखों से नहीं
छू कर देखू तुम्हे
मज़बूर करते है मुझे ।
वक़्त ने नमो निशान तो मिटा दिया
पर एक परछाई है जो
सुबह से रात तक साथ रहती है
मुझे मजबूर करती है
छू कर देखू तुम्हे।
न फ़ोन या संदेश से
खबर आती है
खैरियत तुम्हारी उसकी दुआ से ही
पता चलता है।
तुम उस चाँद की तरह हो
जो हर रोज़ अपनी जगह बदलता है
कभी छू पता है,कभी बहुत करीब होता है।
पर हमेश दूर,मेरी पहुँच से दूर होता है
और ये ख्याल मुझे मज़बूर करता है
छू कर देखू तुम्हे।