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Laxmi Tyagi

Romance

4  

Laxmi Tyagi

Romance

सिर्फ तुम्हारे लिए

सिर्फ तुम्हारे लिए

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तुमने इस झील से शांत मन पर,

न जाने कैसे, शब्दों का वार किया ?

शांत रहकर भी, अन्तस् भिगो दिया। 

मरहम की तलाश में, बैठे इंतज़ार में,

सिर्फ़ तुम्हारे लिए ...... 


गलती तुम्हारी भी नहीं,

दिल ऐसा ही कुछ नाजुक़ मेरा,

तुम्हारे दिए ज़ख्मों को दिल पर ले लिया। 

तुमसे बात करने को, तरसाते ये नयन तेरे,


इन्होंने न जाने, ऐसा क्या जादू सा किया ?

भीगी पलकें सिर्फ़ तुम्हारे लिए....... 


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