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VanyA V@idehi

Romance

4  

VanyA V@idehi

Romance

तेरा सूरूर

तेरा सूरूर

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उनके बारे में, बदस्तूर लिखती रहती हूं,

जैसे है कोई फित्तूर, लिखती रहती हूं !


हुस्न का हाथ,इश्क के कंधे पर है यूं,

कि चढ़ गया सुरूर,लिखती रहती हूं !


मरने की जरूरत ही क्या है, मुझे बता,

इश्क में हुआ चूर चूर, लिखती रहती हूं !


नींद आए कैसे,ख्वाबों के दरवाजे से,

कोई रहा है मुझे घूर, लिखती रहती हूं !


दोनों करते है महसूस एक दूसरे को,

इश्क का यही दस्तूर, लिखती रहती हूं !


सुबह,शाम,रात,दोपहर, हर लम्हा,

बिखरा है तेरा नूर, लिखती रहती हूं !


हर लम्हा तेरा एहसास है मेरे महबूब,

बेशक तू है मुझसे दूर, लिखती रहती हूं !


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