तेरा सूरूर
तेरा सूरूर
उनके बारे में, बदस्तूर लिखती रहती हूं,
जैसे है कोई फित्तूर, लिखती रहती हूं !
हुस्न का हाथ,इश्क के कंधे पर है यूं,
कि चढ़ गया सुरूर,लिखती रहती हूं !
मरने की जरूरत ही क्या है, मुझे बता,
इश्क में हुआ चूर चूर, लिखती रहती हूं !
नींद आए कैसे,ख्वाबों के दरवाजे से,
कोई रहा है मुझे घूर, लिखती रहती हूं !
दोनों करते है महसूस एक दूसरे को,
इश्क का यही दस्तूर, लिखती रहती हूं !
सुबह,शाम,रात,दोपहर, हर लम्हा,
बिखरा है तेरा नूर, लिखती रहती हूं !
हर लम्हा तेरा एहसास है मेरे महबूब,
बेशक तू है मुझसे दूर, लिखती रहती हूं !

