अगर तुम न होते
अगर तुम न होते
कितनी उदास होती ज़िंदगानी।
कितना बेरंग होता ये हर रोज़ का जीना।
कितना खाली होता ये दिल-ए-नादान।
कितना मुश्किल होता इस भीड़ से अलग होना।
कितना अकेला होता ये सफ़र।
कितना तन्हा बेमतलब होता हर कदम।
कितनी गुमशुम होती ये दुनिया।
कितना नीरस होता ये ज़िंदगी।
कितना अधूरा होता ये इश्क़-ए-बेमिसाल।
तुम हो ना इसलिए।
ये ज़िंदगानी है नरम ओस से भरी ।
ये दिल-ए-नादान है भरा है प्यार से।
तुम हो ना इसलिए।
ये दुनिया है रंगीन।
खुशबू में डूबी हुई।
तेरे बाँहों में सिमटी हुई।
ये ज़िंदगी है खुशनुमा।
ये इश्क़-ए-बेमिसाल है।