उलाहना
उलाहना
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शिकायतें तो बहुत हैं,
ऐ जिन्दगी! तुझसे,
पर तेरी एक मुस्कान से,
सब गम मीट जाता है।
सर्दी की धूप हैं इनमें,
गर्मी की छाव हैं,
तेरी एक मुस्कान,
मेरे जीने का आधार है
तुझे देख मेरी हर,
इच्छा पूरी हो गई,
जिन्दगी की अब हर,
उलाहना खत्म हो गई।