STORYMIRROR

Uma Vaishnav

Others

3  

Uma Vaishnav

Others

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
257

नसीबों से लिखी एक दास्तान है ये 

हमारी तुम्हारी जो पहचान है ये।


कभी भी नहीं भूल पाये तुम्हें हम, 

बसी अब तुम्हीं में मिरी जान हैं ये। 


तुम्हें भूल ने की जो कोशिश करें हम 

तुम्हारे बिना जिंदगी अब विरान है ये।


नजर ही नजर में इशारे हुए यूँ ,

तुम्हारी नजर पर जो कुर्बान हैं ये ।


तुम्हारे लिए ही ज़माने में आये, 

 उमा दिल हमारा मेहमान हैं ये। 



Rate this content
Log in