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Uma Vaishnav

Others

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Uma Vaishnav

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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नसीबों से लिखी एक दास्तान है ये 

हमारी तुम्हारी जो पहचान है ये।


कभी भी नहीं भूल पाये तुम्हें हम, 

बसी अब तुम्हीं में मिरी जान हैं ये। 


तुम्हें भूल ने की जो कोशिश करें हम 

तुम्हारे बिना जिंदगी अब विरान है ये।


नजर ही नजर में इशारे हुए यूँ ,

तुम्हारी नजर पर जो कुर्बान हैं ये ।


तुम्हारे लिए ही ज़माने में आये, 

 उमा दिल हमारा मेहमान हैं ये। 



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