मुहब्बत
मुहब्बत
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डरते है मुहब्बत के नाम से
कि दुबारा कोई छल ना जाए,
कि दुबारा कोई दिल से खेल ना जाए,
कि दुबारा कोई झूठे वादे कर आस ना दे जाए,
कि दुबारा प्रेम मात्र परिहास ना रह जाए।
डरते है मुहब्बत के नाम से
कि फ़िर मेरी सम्मान सामान ना समझी जाए ,
कि फ़िर मूझसे मेरी व्यक्तित्व ना छिन ली जाए,
कि फ़िर मुझे खोखली भावनाओ के बंदिशे ना बांध दी जाए,
कि फ़िर मेरी अंत: स्थल ना रौंध दी जाए।
डरते है मुहब्बत के नाम से
कि फ़िर कोई मुझसे मेरापन ना ले जाए,
कि फ़िर मेरे हृदय के टुकड़े ना कर दिए जाए,
कि फ़िर मेरी दुनिया अमावस की रात में परिणत ना हो जाए,
कि फ़िर मुझसे मेरी अस्तित्व ना छिन ली जाए।
डरते है मुहब्बत के नाम से
कि फ़िर मेरी स्थिती व्यवहार कर के फेंक
दिए गए पुष्पों के भांति ना हो जाए,
कि फ़िर मुस्कुराहट मीलो दूर ना चली जाए,
कि फ़िर आंखों में भय ना समा जाए,
कि फ़िर मेरी आवाज़ मुझसे ही रूठ ना जाए।
डरते हैं मुहब्बत के नाम से
कि फ़िर रातो की शीत आग ना बरसाए,
कि फ़िर जीवन से नाता टूट ना जाए,
कि फ़िर धुन संगीत की कानो को चीर ना जाए,
कि फ़िर कोई राहों में गुमराह ना कर जाए।
डरते हैं मुहब्बत के नाम से
कि दुबारा कोई वीराने से दूर ले जाकर
फ़िर जिंदगी वीरान ना कर जाए।