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Nishchala Sharma

Abstract

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Nishchala Sharma

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आते जाते पल

आते जाते पल

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जाते हुए लम्हे ने कहा आते हुए पल से, ऐ दोस्त

इतरा ले, इठला ले, तू खुद पर गरवा ले कि तू है नया नवेला।


अभी अभी है आया तू यहां, तो स्वागत में है दुनिया

सबने पलक पांवड़े हैं बिछाए हुए तेरे लिए।


अभी तो है तेरा बचपन सो नासमझ है तू, ना समझ सके

जैसे जैसे ये बढ़ेगा समय आगे तो जानेगा तू कि

ये दुनिया है, यहां आते को सलाम करता हर कोई है।


क्योंकि दिखे है उम्मीद तुझमें, है आशा रश्मि का तेज तुझमें

तेरे साथ आए हैं कई रंग नए, उमंग नई और सपने कई।


पर जब तेरा ढलता जायेगा समय,

सपने कुछ होंगे पूरे कुछ रह जाएंगे अधूरे

कुछ अरमान भी ऐसे होंगे जो

सदियों की चाहत थे और आज तक चाहत ही है।


कुछ हसरतें होंगी पूरी पर उनकी

जगह लेने आ जाएंगी कुछ ख्वाहिशें नई

जैसे तू है आ गया मेरी जगह लेने को यहां पर

ऐसे ही तो हो जाता है नया भी पुराना।


बस तू ये जान ले ऐ दोस्त कि वक़्त के साथ चलते रहना

और ये जान लेना कि तू भी जाने लगेगा तो

तेरी भी होगी विदाई और तेरी जगह भी आयेगा नया।


जो मैं हूं आज वो होगा तू कल,

तू मेरा कल मैं तेरा कल, तू आता पल मैं जाता पल।


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