STORYMIRROR

Nishchala Sharma

Others

3  

Nishchala Sharma

Others

एक आस

एक आस

1 min
398

सब भ्रम सा लागे जीवन की सच्चाई के आगे

बस चल रहे हैं हम कहां पहुंचे क्या मालूम,

शुरू किया जब था चलना तब बनाई थी मंज़िल एक

पाली थी मन में उम्मीद कोई, आस एक।

सफर को आज जो देखा पलटकर, कुछ पाते गए, कुछ छूट गया

जो पाया वो भी खोना ही है एक दिन, वो भी तो किसी और का होना ही है एक दिन।

अपना नहीं था कुछ सब लगता था कुछ पराया सा,

जो साथ चल रहा था सतत हमारे बनके साया सा, वो आस थी।

परिवर्तन ही शाश्वत है सच है तभी तो सब बदलता रहा,

एक आस ही तो अपनी है साथ में चलती है, बदलकर अपना रूप रंग सजावट।

कभी आस है कुछ बन जाने की, कभी किसी को पाने की,

कभी वो दिखाती है सपने किसी का अपना हो जाने की।

आस जो मन में हो तो बस चलते रहते हैं हम,

पहुचेंगे ज़रूर कहीं ये विश्वास दिलाती वो चलती है संग संग।

रिश्ते, नाते, कागज पत्री, नफरत मोहब्बत, गुस्सा प्यार,

साथ विरह, झगड़ा सुलह, सब बदलता रहेगा

सब साथ छोड़ेंगे, बस साथ रहेगी तो आस।

एक आस ही तो है जो अपनी है।


Rate this content
Log in