अपने साथ

अपने साथ

1 min
497


कुछ दिन गुज़ारिए 

कभी अपने साथ

तन्हाइयों में करिये

 कभी खुद से बात


शांत बैठ के सुनियेगा 

मन की बात

कुछ दिन गुज़ारिए 

कभी अपने साथ

 

क़िताबों में खोजते हैं

गूगल करते हैं

सारे सवालों के 

जवाब तो हम में हैं

कभी वक़्त निकाल के 

बैठिये खुद के साथ

 

हज़ार रोशनियों में न मिले, 

वो ज्योति हम में है

पत्थर में ढूँढ़ते हैं वो 

क़ुदरत हम में है


कभी वक़्त निकाल के 

बैठिये खुद के साथ

कुछ दिन गुज़ारिए 

कभी अपने साथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract