अपने साथ
अपने साथ
कुछ दिन गुज़ारिए
कभी अपने साथ
तन्हाइयों में करिये
कभी खुद से बात
शांत बैठ के सुनियेगा
मन की बात
कुछ दिन गुज़ारिए
कभी अपने साथ
क़िताबों में खोजते हैं
गूगल करते हैं
सारे सवालों के
जवाब तो हम में हैं
कभी वक़्त निकाल के
बैठिये खुद के साथ
हज़ार रोशनियों में न मिले,
वो ज्योति हम में है
पत्थर में ढूँढ़ते हैं वो
क़ुदरत हम में है
कभी वक़्त निकाल के
बैठिये खुद के साथ
कुछ दिन गुज़ारिए
कभी अपने साथ।