STORYMIRROR

Swati Tyagi

Abstract

4  

Swati Tyagi

Abstract

दौड़

दौड़

1 min
426

ये ज़िन्दगी दौड़ है

आगे बढ़ने की होड़ है

अपने साये से मुँह फेरे,

जाने कितने हाथ छोड़े।


ठहरो तो सब सूना है

भागो तो सब पीछे छोटा है

इंसानियत का पाठ पढ़ाये

इस दौड़ में हर सीख भूल जाये

ये ज़िन्दगी दौड़ है

आगे बढ़ने की होड़ है।


दुनिया के दुःख देखो तो रात में नींद न आये

सबसे आँखें मूँद लो; दो पल चैन से सो जाये

बाकी तो ज़िन्दगी चलती जाये

पर आईने में हम खुद से नज़र चुरायें 

ये ज़िन्दगी दौड़ है

आगे बढ़ने की होड़ है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract