उम्र
उम्र
बचपन की मासूम हँसी
प्यारी सी आसान ख़ुशी
जाने कहाँ खो गयी ज़िन्दगी
बचपन में आसानी से होने वाला भरोसा
झट से माफ़ कर देने की क्षमता
पता ही नहीं कब वो वक़्त बीता
न किसी को समझने की ललक थी
न किसी को परखने की ज़रूरत थी
बस वो ही अपना हो गया
जो भी हमसे हँस के मिला
जाने कहाँ खो गया वो आसान भरोसा
बहुत कुछ सिखा दिया उम्र ने
भुला दिए वो मासूम लम्हे
मन के तराज़ू में तोलते हैं
हर दिन सोचते हैं
इस उम्र की क़ीमत उस
उम्र से कितनी कम थी।