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मेरा शहर

मेरा शहर

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अपने दिल के कोने में

एक शहर बसाया है मैंने

इस शहर में एक घर मेरा है

जहाँ रहता हरदम सवेरा है

 

यहाँ उमीदों का सूरज ढलता नहीं

कोई फूल नहीं जो यहाँ खिलता नहीं

 

सपनों की छत, हिम्मत के फ़र्श

ख्वाहिशों की दीवारें हैं

कुछ अपने से लगते यहाँ के घर सारे हैं

 

कई खूबसूरत मकान हैं

हर पल खुशियों की उड़ान है

 

दुनिया में भटक कर

जब भी आती हूँ थक कर

बाँहें फैला के करता है स्वागत

ये मेरा अपना शहर।


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