कुछ प्रश्न पूछने हैं मुझको !
कुछ प्रश्न पूछने हैं मुझको !
प्रश्न हैं कुछ मेरे,
इंसानियत मरी क्यूँ हैं,
और हैवानियत यूँ बढ़ी क्यूँ है?
घर जलाए क्यूँ जाते,
और पाप छिपाए क्यूँ जाते ?
प्रश्न हैं कुछ मेरे,
गूंगा बहरा शासन क्यूँ है,
ये खूनी सत्ता का सिंहासन क्यूँ है ?
आंगन में किलकारी क्यूँ है,
और रोती गुड़िया बेचारी क्यूँ है ?
हां जी प्रश्न हैं कुछ मेरे,
मानवता के मिटे अंश पर,
हिन्दू मुस्लिम इस विध्वंस पर,
ईश्वर ने देह मिट्टी से बनाई,
तो धर्म जाति ये किसने बनाई?
उत्तर कोई देगा क्या भाई,
जब रंग लहू का लाल है दोनों,
लड़ते राम- रहीम क्यों दोनों ?
क्या वो दिन भी आएगा,
इंसानियत भी एक धर्म कहलायेगा ?