वो गायिका
वो गायिका
वो गायिका बस गा जाती है
किसी धुन में रम कर
किसी राग में खोकर
किसी वैराग्य को पाकर
वो गायिका बस गा जाती है
वो गायिका बस गा जाती है
तबले के ताल पे चढ़कर
संतूर के सुरों से खेलकर
हारमोनियम के दिखाए राह पे चलकर
वो गायिका बस गा जाती है
वो गायिका बस गा जाती है
उन मामूली नेताओं के बिच
उन भद्र इशारा करते श्रोताओं के बिच
उन सस्ते माइक के बीप के बिच
वो गायिका बस गा जाती है
वो गायिका बस गा जाती है
चाहे पसीना मेकअप को चुनौती ही क्यों न दे
चाहें मूर्खियों में सुर ही क्यों न बिखरे
चाहें २० रु. के ईनाम पे कोई पास ही क्यों न बुलाए
फिर भी वो गायिका बस गा जाती है...
