अनकही
अनकही
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लहरें बता रहीं है समंदर का हाल क्या है
धड़कन भी कहती है दिल कितना बेहाल है।
सोचते तो अक्सर है हम बहुत
पर बताते नहीं अपना ख्याल क्या है।
दिनों में जीना सीख ही रहें थे कि
पलक झपकते गुजर रहे साल है।
अब पूछना मत होठों के पीछे की चुप्पी
बोल पड़े तो बवाल ही बवाल है।