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Nitu Arya

Abstract

4.5  

Nitu Arya

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मेरी पुस्तक

मेरी पुस्तक

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एक रत्नों 

का संदूक जो सदैव मेरे साथ रहा


कभी मेरे तकिये तले, 

कभी मेरे गलीचे की सिलवटों में छिपा


खुशगवार प्रभात की चाय की चुस्कियों के साथ,

दोपहरी की तपन को सर्द हवाओं,

रिमझिम बारिश की फुहार से भर जाता, 

समग्र जहां मेरी हथेली में समाया

लगता,

मेरे जीवन को अर्थपूर्ण आयाम मिला तुमसे 

मेरी जिजीविषा के परों को पखारने को अथाह आकाश मिला तुमसे 


विषाद के क्षणों में, मेरे हृदय को सुखद अनुभूति दे

हर परिस्थिति से उबरने का, और 

उचित अनुचित का ज्ञान मिला तुमसे 


टिमटिम तारो का प्रकाश, सतरंगी इन्द्रधनुष की छटा,

रंग बिरंगे पुष्पों की भीनी- भीनी सी सुगंध,का मर्म 

उन सुकोमल सुमनों पर अतरंगी तितलियों का इठलाना

गिरि के चट्टानों सा अटल विश्वास और जलधि सा अजल

ज्ञान मिला तुमसे

सच !ऐ मेरे हमराही, मेरा साथ इतनी शिद्दत से निभाने के लिए तुम्हें ...

शुक्रिया .


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