दिल बेकरार होता
दिल बेकरार होता
काश !उनका दिल भी यूं ही ,बेकरार होता
दबा -दबा ही सही ,उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता।
खामोश लवों से नाम उनका यूँ निकलता है,
जैसे कोई छुपी पाजेब का दिलकश झंकार होता।
दबा- दबा ही सही उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता।
एक रोज अपने करवटें उनकी नींदों से बदलेंगे ,
काश! उनकी आंखों में जागता सारा संसार होता।
दबा- दबा ही सही उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता।
कुछ रस्मों से बँधे, कुछ कसमों से बँधे हैं हम,
काश! उनका भी मेरी सांसों से जुड़ा कोई तार होता।
दबा- दबा ही सही उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता ।
फूलों को छोड़ गुलिस्ता से ,वो कलियों को चुनने लगे, काश !
कांटों से दामन उनका भी कभी गुलजार होता ।
दबा -दबा ही सही उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता ।
उनकी मौजूदगी के निशाँ ,हम दर -बदर ढूंढते हैं,
काश !हमारी रूह की निशाँ के लिए भी वो बेकरार होता।
दबा -दबा ही सही प्यार हमसे बेशुमार होता ।
उनकी परछाइयां हम ,अंधेरे में भी तलाशते हैं,
काश !हकीकत ना सही ,ख्वाबों में ही हमारा इंतजार होता ।
दबा- दबा ही सही ,उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता।
काश कि उनका दिल भी, यूँ ही बेकरार होता ।
दबा -दबा ही सही ,उनको भी प्यार हमसे बेशुमार होता।।।