वफ़ा
वफ़ा
देखा हजार दफा, उस गली को
जहां से गुजरा है अक्स तेरा,
न पूछो मुड़कर हमारी इकबत
है तुम्हारी कुर्बत का सख्त पहरा
देखा हजार.......
खुमार तेरी वफ़ा का , ऐसा
के उकूबत में भी सुकून आयें
कयामत तक है तुम्हारे कायल
अब्सार तेरा है मुझ पे ठहरा
देखा हजार ,,,,
