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Nitu Arya

Abstract

4.5  

Nitu Arya

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ये माह कुछ खास है

ये माह कुछ खास है

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सावन मास बड़ा मनभावन है,

 सब जन मन पुलकित

 काले बादल संग है झूमे

  मन मेरा भी हो आनंदित


 हरे भरे खेत खलियानो से,

कुछ हरियाली मै भी चुराऊँ

रंग कर जिसमें अपना तन मन

 मै भी इनका हिस्सा बन जाऊं


झूले पर जब सखी सहेली,

कजरी का राग सुनाएं,

सागर की लहरों पर उन पर,

मेरा मन लाल लहराए।

 हर -हर महादेव,


बोल -बम के जयकारे से,

 गूँजे मंदिर और शिवालय

काश मेरा यह चंचल मन भी

बन जाए शिव का आलय


 पाख माहे रमजान है

यह रोज और नमाजों का

 मस्जिद में गूंज इबादत के दर

जन्नत के आगाजों का


 पहुंच यहां तक कलम भी मेरी

सहसा रुक कर बोली 

क्या लिखूं मैं में विषय में

उनके जो खेले खून की होली


 भारत मां की बलिवेदी पर

कितनों ने शीश चढ़ाई

तब जाकर दास्तां की

जंजीरों से हमने मुक्ति पाए।


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