माँ जगदम्बा
माँ जगदम्बा
संस्कृति को पोषित करती।
जीवन को अनुशासित करती।
शक्ति भक्ति के साथ चलकर।
नवरात्रि की प्रासंगिकता सिद्ध
करती।
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आध्यात्मिक अभियान है।
नारी सशक्तिकरण का ध्यान है।
शक्ति के प्रवाह में भक्ति का निर्वाह है।
जागृत होती नारी का बढ़ता ज्ञान है।
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ऋतुओं का संधि पर्व।
समग्र अनुशासन का पर्व।
अहर्निश हम पूजा करें।
मां के नौ रूपों का पर्व।
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जगदंबा की जोत जगी ।
हर्ष का हेतु बनीं।
दसों दिशाएं प्रकाशित होतीं।
निर्मलता बढ़ने लगी।
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मां भगवती का स्मरण कर, करते मंत्र जाप।
पूजा पाठ उपवास से , होते निष्फल संताप।
जग जननी जगदंबा आते ही तेरे धाम ।
ज्योतिर्मय तन मन हुआ अद्भुत तेरा धाम।
सिंह की सवारी करे जय मां अंबे भवानी।
न्याय को परिभाषित करे मां की हर कहानी।
नियमों को स्थापित करे पापों का संहार करे।
कर्मठता का पाठ पढ़ाकर विनम्रता जीवन में भरे।
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