सख्सियत
सख्सियत
तुम्हें पता है,गर सख्सियत अपनी
क्यों तलाशते हो ग़ैरो की निगाह में
हैसियत अपनी ,
खुद का कद, इतना ऊंचा कर लो
लोग दिल से अदा करें , मिल्कियत अपनी
बंजर धरा पर भी, गुलिस्तां सजा दो
ऐसी रखो नीयत अपनी।
अपने सआदत के,
कुछ ऐसे निशान छोड़ दो
जिंदा रहे लोगों के दिलों में इंसानियत अपनी।