Nitu Arya

Abstract

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Nitu Arya

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सख्सियत

सख्सियत

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तुम्हें पता है,गर सख्सियत अपनी

क्यों तलाशते हो ग़ैरो की निगाह में

हैसियत अपनी ,


खुद का कद, इतना ऊंचा कर लो

लोग दिल से अदा करें , मिल्कियत अपनी


बंजर धरा पर भी, गुलिस्तां सजा दो

ऐसी रखो नीयत अपनी।


अपने सआदत के,

कुछ ऐसे निशान छोड़ दो 

जिंदा रहे लोगों के दिलों में इंसानियत अपनी।


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