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Nitu Arya

Children Stories

4  

Nitu Arya

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बेरंग बचपन

बेरंग बचपन

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मैं ललित तनुज हूं नन्हा सा

मुझे वह अल्लहड़ बचपन चाहिए ।


लड़खड़ाते कदमों पर किताबों का बोझ ,

 संभालने से नहीं संभालता है,

 चलना है ,कूदना है ,घर आंगन,बाग- बगीचे में, यह चार दिवारी के बंद कमरे में,

 मेरा दम घुटता है ,

मुझे चमचमाती रंग-बिरंगे कपड़ों में ,

 कंचें, डिबिया ,टूटे खिलौने के टुकड़े समेटना है।


 यह बेरंग पहनावा मुझे रास ना आता है ,


 यह काली - सफेद रेखाएं ,

मुझे समझ नहीं आती ,

मुझे अपनी कल्पनाओं के दुनिया में रंग भरना है,


 मुझे ना बांधों इस अनुशासन की दीवारों में ,

मुझे अभी बदमाशियों की हद पार करना है ,


लौटा दो मुझे बस मेरा वह लड़कपन,

बांकपन , सुकोमल, सुकुमार बचपन 

वो सुन्दर,सजीला, न्यारा सा बचपन।


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