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Nitu Arya

Others

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Nitu Arya

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सुकून भरा पल

सुकून भरा पल

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ढूंढे मेरा मन वो सुकून भरा पल

वह दादी की थपकी और मां की लोरी में,

 भीगा हुआ आंचल ।

 ढूंढे मेरा मन वो सुकून भरा पल।


वह मां की पुकार में ,

बच्चों की गुहार में,

वह कागज की नाव का चलना ,

बारिश की फुहार में ,

वह त्योहारों के मेल में ,

गुड्डे -गुड़ियों के खेल में ,

वह यारों की छुक छुक करती, 

टेढ़ी-मेढ़ी सी रेल में ,

आज और कल में बीता जाए हर पल ।

ढूंढे मेरा मन वो सुकून भरा पल।


 वह पहली बारिश की सोंधी मिट्टी की गम- गम,

 वह धान और दूब हुई ,ओंस से नम- नम ,

वह पनघट की नाव में ,

वह पीपल की छांव में ,

छोटे छोटे हाथों से बने ,

मिट्टी के घर में 

वह किताबों में रखें ,

टूटे हुए मोर के पर में ,

बैलों की घंटी और खेतों में हल।

ढूंढे मेरा मन वो, सुकून भरा पल ।


सरसराती हवा के ,

मदमस्त करते झकोर में ,

वह चिड़ियाँ की चह-चह में,

चंदा और चकोर में ,

उजाले में अंधियारें में,

टिम- टिम करते तारे में ,

झर -झर करता यह झरने का जल।

ढूंढे मेरा मन वो ,सुकून भरा पल ।


कुछ सूरज की धूप में ,

कुछ अपनों के रूप में,

कुछ रंग -बिरंगे फूलों की महक में,

कुछ आंगन की तुलसी ,

और चिड़ियों की चहक में ,

चल मेरे मन उस जहां में फिर चल ।

ढूंढे मेरा मन वो सुकून भरा पल।

वो दादी की थपकी,

और माँ की लोरी में भीगा हुआ आँचल

ढूंढे मेरा मन वो सुकून भर पल।।।


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