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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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प्रश्न है

प्रश्न है

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प्रश्न है,

क्यों नहीं करता कोई इस पर विचार?

बस हो रहा है केवल व्यभिचार।


प्रश्न है,

हम अपनी कविताएँ दोहराएंगे,

तो क्या बाकी कवियों को भूल जाएंगे?


प्रश्न है,

हर कविता मन की भावनाओं के साथ बनती है,

फिर हमारी आँखें उन्हें प्रशंसा के लिए क्यों नही चुनती हैं?


प्रश्न है,

जो केवल करे अपना प्रचार,

मानो जैसे करे सब पर उपकार।

जो अन्य लेखन को नज़र अंदाज़ कर,

अपने ही लेखन एवं उपाधियों को श्रेष्ठ बताएगा

क्या आप की दृष्टि में वह योग्य कवि कहलायेगा?


प्रश्न है,

अगर स्वयं समतल नहीं हो पाएंगे,

तो क्या किसी अन्य को सफल कर पाएंगे?


प्रश्न है,

यह जीवन आधार के बिना है,

यहां हर किसी ने सभी का सुख चैन छीना है

किसी की समीक्षा करके,

किसी की प्रशंसा करके,

किसी को आगे बढ़ा के,


खुद भी आगे बढ़ना है या

हमें भी दूसरों की भांति,

केवल स्वार्थी जीवन जीना है?

प्रश्न है, प्रश्न है, प्रश्न है।


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