जिंदादिली
जिंदादिली
मेरा दिल है खरा सोना,
मत परखो मेरी जिंदादिली।
मैं हूं आज की नारी,
मुझे भी कुदरती विरासत से...
तुमको परखने की महारत मिली।
मैं जब दिल लगाती हूं किसी से,
तो जान निछावर कर देती हूं।
गमगीन इंसान की जिंदगी में,
खुशियों के सागर भर देती हूं।
देता है कोई मुझे जब धोखा,
तो मैं बेचैन नहीं होती।
जवाब देती हूं बराबर,
अब मैं घूंघट में नहीं रोती।
बहुत रोये हैं हम युगों युगों से अब तक,
अब हमारे सपने आसमान की उड़ान भरते हैं।
हम अपनी योग्यता पर विश्वास करते हैं,
हम जिंदगी की परीक्षाओं से नहीं डरते हैं।।
