अर्थ
अर्थ
ख़ुशी मिलेगी अपार, बस कर लूँ हासिल ये मुकाम
कहते रहते हम खुद से बराबर,बिना जाने चुकाना पड़ता है क्या दाम
तकते रहते हम आनन भविष्य का, अपनी प्रसन्नता हेतु
फिसलती रहती हथेली से ज़िन्दगी रेत की तरह, इसे पाने हेतु
सचमुच क्या पूर्णता अनुभव कर पाते हम मंजिल मिल जाने पर
ऐसा तो नहीं, जब देखते पलट कर,
पाते यह, खो दिए जाने कितने आनंद के मोती रस्ते पर
अन्तर्लीन थे हम इतने, देख पाए नहीं कुछ और कभी
करते चले घायल अनजाने में ही, अपने प्रियजनों को भी, खुद को भी
बिखरी पड़ी है ज़िन्दगी चारों तरफ, समोए मायने कृतज्ञता के
पर जकड़े हुए थे हम तो इस अंधी दौड़ के निरंतर कसते पाश में
कभी सोचा है क्या अर्थ है ज़िन्दगी का, या कि मतलब क्या है ख़ुशी का
क्या है वह अकूत दौलत, सुखद भविष्य, प्रसिद्धि, या कि अट्टालिका ?
दस्तक सुनाई दे रही हो जब मौत की, देखना पूछ कर उस व्यक्ति से
जवाब बिलकुल अनूठा होगा उसका, कर उठेगा
अट्टहास तुम्हारी ये फिजूल की फेहरिश्त सुनकर
प्यार, परिवार, हँसी-ख़ुशी, हर पल आनंद से ओत-प्रोत -
ये ही हैं वो जगमगाते रत्न , रखते जो बचाए
हमारे जीवन के आईने को धुंधला पड़ने से,
खो नहीं जाने देते उसे अन्धकार में।