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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

वो भूखा सो गया

वो भूखा सो गया

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क्यों आज रो पड़ी है जिंदगी

कुछ गुमसुम सी है जिंदगी

पूछो उनसे 

जो रात भर पेट के बल सो गए 

क्यों सो गए आखिर 

क्योंकि भूखे थे 


खाना नहीं खाया कई दिन से 

पेट और पीठ एक जैसे 

जान पड़ते हैं 

जाने कितने दिन से भूखे हैं 

मैं सड़क पर खड़ा उन्हें 

बस एकटक निहरता रहा 


दो पैसे कमाकर भी वो भूखा सो गया 

देखकर उनको रो पड़ी जिंदगी

सोचा पूछ लूँ क्या परेशानी है 

फिर ख्याल आया 

न जाने कितने लोग ऐसे ही 

भूखे सो जाते हैं 


खाना मिला तो खा लिया 

नहीं तो पेट में अपने पैरों को 

घुसा कर बस सो जाते हैं 

ये भूख जहाँ बचपन बिक गया 

दो पैसे कमाकर 

परिवार को खिलाकर 


वो भूखा सो गया 

इस भूख की खातिर 

आज रो पड़ी है जिंदगी 

जाने कब ये भूख मिटेगी 

जाने कब ये भूख मिटेगी 

जहाँ उसका .............. 


अब कतरा कतरा बिक गया 

दो पैसे कमाकर भी वो भूखा सो गया 

भूख का दर्द सिर्फ उसने महसूस किया 

जी उस भूख को जिया 

सुबह से निकला रात हो गई


जो मिला परिवार में बँट गया 

इस पेट की भूख ने 

जिंदगी के कई रंग दिखा दिए

वो पानी पीकर अपनी भूख मिटा गया 

दो पैसे कमाकर भी वो भूखा सो गया !


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