बुरे सपनें डराते हैं
बुरे सपनें डराते हैं
माँ एक समस्या है यहाँ बड़ी अजीब विवशता है,
बुरे सपने मुझे सताते हैं रह रह कर मुझे रुलाते हैं,
तुम जल्दी घर आ जाना सपनें मुझे बहुत डराते हैं,
एक बच्ची माँ से कहती जब अकेले घर में रहती है,
यह कैसी लाचारी है बिन माँ के यह बच्ची बेचारी है,
माँ अब है नहीं दुनिया में पर माँ से गुहार लगाती है,
सपने देखकर चिल्लाती और झट से उठ जाती है,
इधर-उधर माँ को ढूंढती पर हाथ उसके खाली हैं,
ठोकर खाकर भागती पर सामने खड़ी अलमारी है,
आ जाओ माँ इधर अभी किधर तुम छुपी हुई हो,
अपने मन ही मन में जाने वह क्या-क्या बकती है,
सोकर झट उठ जाती बुरे सपनों से वह डरती है,
बुरे सपनों से डरकर जाने कितनी बातें माँ से करती है,
कौन सुने उसकी करुण पुकार और कौन करें मनुहार,
मुरझाई सी बैठी अब तो सतरंगी सपनों से भी डरती है !