बारिश
बारिश
बरसी बारिश तो
वो याद आया
जैसे कोई बीता लम्हा
लौट कर आया।
कतरा-कतरा
जिस्म भीग गया
वो ना आया जो
एक बार गया।
किस्से थे यादों की
किताबें रखता गया
वक्त कट जाए कहीं
नींव कोई रखता गया।
वो बेहिसाब चाहता था
मैं भी उसे चाहता था
बस इक मुकाम था
वो उधर गया मै इधर आया।
हरेक हाल में उम्मीदें
रखना कोई गलत ना था
जहां छोड़ा था, याद आयी
मैं वहां लौट कर आया।
बरसी बारिश तो
वो याद आया।

