Laxmi Tyagi

Romance

4  

Laxmi Tyagi

Romance

तेरी चाहत में

तेरी चाहत में

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ऐसे सुहावने मौसम में ,लेती हूँ ,अंगड़ाई ,तेरी चाहत में ,

 बूंदें ,ले करतल में ,भावविभोर हो उठी, तेरी चाहत में। 

शांत मन में ,इक ठंडी सी स्फुरण उठी ,तेरी चाहत में। 

सागर सी ज़िंदगी ,कुछ पल ठहर सी गयी तेरी चाहत में। 


 शांत सागर से मन में , लहरें उठने लगीं ,तेरी चाहत में। 

ख़्वाबों में मिल,लहरों सी छूकर चली आतीं तेरी चाहत में। 

आकर्षण बड़ा, तेरी आँखों का ,क्यों ज्वार सा आने लगा ?

मन ,रह-रहकर हिचकौले खाने लगा ,ऐसे तेरी चाहत में।


उतरकर देखो !मेरे ह्रदयतल की गहराई ,न माप सकोगे,

न जाने ,अरमानों के कितने माणिक छुपे ?तेरी चाहत में। 

सीपी में बंद मोती सी....... ,मेरी मोहब्बत में सच्चाई है। 

शांत ,इस गहरे तल में ,कितनी हलचल है ?तेरी चाहत में। 


   


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