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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

वो तेरी पहली छुअन

वो तेरी पहली छुअन

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वो तेरी पहली छुअन ,
होश मेरे उड़ा गई ,
मैं कुछ बोल ना सकी ,
पर मन ही मन घबरा गई |

वो क्या था .....
ये जब तक समझ आया ,
मैने झिझकते हुए ,
खुद को असहाय पाया |

संभाल कपड़े तुझे दूर हटा ,
मैं भागी होने लापता ,
बहुत देर अकेले खड़ी ,
अश्रुओं से था चेहरा भिगा |

फिर अचानक याद आया ,
जाना वहीं जहाँ तेरे साया ,
मैं चोरी चोरी नजरें छुपा ,
जा बैठी तेरा था दिल जहाँ |

ना कोई शब्द तब तू बोला ,
ना ही मैने तुझसे आँख मिलाई ,
फिर भी जमाने की नजरों में ,
ऐसा लगा हमारी हो रही रुसवाई |

मैं खोयी - खोयी बस तकती रही ,
तू जो भी था सब पढ़ा रहा ,
मगर दिल~ओ ~दिमाग में ,
एक अजब सा नशा था छा रहा |

तू समझ गया मेरी बेचैनी ,
फिर कसने लगा मुझ पर तंज ,
मैं मन ही मन में हारी हुई ,
कैसे करती तुझसे कोई रंज ?

ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था ,
यूँ अचानक किसी ने छुआ नहीं था ,
मैंने घर जाकर कितनी बार ना जाने ,
अपनी धड़कनों को सौ बार सुना था |

वो तेरी पहली छुअन ,
होश मेरे उड़ा गई ,
मैं कुछ बोल ना सकी ,
पर मन ही मन घबरा गई ||













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