बेशक़ तूझे मोहब्बत है..!
बेशक़ तूझे मोहब्बत है..!


जब तेरा कोई धर्म न रहे
न हो जब कोई लोक लाज
न हो डर न कोई शर्म रहे
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है
जब गुलाबी रंग में मन गोते लगाए
वो ख़्यालों में बसी तस्वीर यूं सामने
नज़र आए
जब ख़ुशियों के समन्दर में दिल
डूबता जाए
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है
जब किसी के नाम पे ये आँसू रुक न पाए
अधर पर खामोशी हो और भीतर कोई
शोर मचाए
जब कोई सालों के लगे ज़ख्म पर मरहम
लगाए
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है
जब महकती बारिश में दिल भीग
ना चाहे
उससे हो कर आती हवा तेरे बदन से
लिपट जाए
जब गुलाब से होठों कि महक तेरे लबों
से आए
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है
जब होश भी पल पल कर यूं ही खोता जाए
रातों को उसके गेसुओं कि याद में कुछ
नगमे गुनगुनाए
जब नज़रों के झरोखे से दिल भी उसे
दीदारने आए
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है
जब तसव्वुर में कोई और कभी बस न पाए
आँगन में पायल कि छनक तुझे पागल सा बनाए
जब उसकी मुस्कान ही तेरा संसार सजाए
तो समझ लेना, बेशक़ तुझे मोहब्बत है