क्या सच में कुछ है
क्या सच में कुछ है
तेरी बातों का दायरा छोटा है बहुत
शुरू कही से, मुझ पर खत्म कर देते हो
क्या सच में कुछ है हमारे दरमियां
क्यों मेरे दिल को वहम कर देते हो
फिक्र मेरी क्यों करते हो इतनी
जब तुमसे हम संभाले नहीं जाते
छोटी खरोच भी लगे मुझे तो
बड़ा बवाल खड़ा कर देते हो
वज्म में जाते नहीं अब किसी और की
तुम हो कि पीछे खबरी लगा देते हो
क्या मुझसे ज्यादा जानते हो मुझे
अपने सवालों का खुद जवाब ढूंढ देते हो
क्यों कर रहे ऐसा, मेरे साथ ही
क्यों संजीदा सवाल पर भी मजाक डाल देते हो
जो मुझसे इकरार करना है तो अभी कह दो
फिर न कहना फकत किस खता की सज़ा देते हो
वज्म :सभा संजीदा : गंभीर फकत : इतनी सी