नेता जी
नेता जी
नेता जी आजकल थोड़े ज्यादा व्यस्त है
क्या करें इस रुट की सभी लाइनें सुस्त है।
पाँच वर्ष बीत जाने दो सब दुरसत करेगें
फिर तो आपके घर आकर भी मिलेंगे।
चौखट पर आपकी इनका टेक लगेगा
मैं भाई हूँ, बेटा हूँ आपका, ये कहेगा।
चुनावी भोज का प्रबंध करेगा
जो अपने कार्यकाल में कुछ नहीं बोला
अब वो सीधा आप से संवाद करेगा।
देश भक्ति का जज्बा इनमें ही दिखेगा
शब्दों के बाण चला यह फिर से छलेगा।
लोकलुभावन वादे कर जख्मी दिलों पर
मलहम मल सच्चा हितैषी आपका बनेगा।
अपना महिमा मंडन खुद ही करेगा
प्रोपेगैंडा का इस्तेमाल कर कहीं न कहीं
आपके मन मस्तिष्क पर छाएगा
आप को एक बार फिर छलेगा।
अगले पाँच वर्ष यह न दिखेगा
आप को फिर से यह अंजान समझेगा।।
