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Neeraj Kumar

Drama Classics Inspirational

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Neeraj Kumar

Drama Classics Inspirational

एक और खत

एक और खत

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ऐसा लगता है मानो कल ही की बात है,

जो खत मेने खुद को लिखा था,

आज वो यूंही कुछ पन्नो में छिपा था,

कुछ यादें लिखी है इसमें,

कुछ फरयाद भी है, कुछ वादे कुछ दावे,

थोड़ी अच्छाई, और थोड़ी बुराई।

 

इस खत में जिक्र है मेरे पहले प्यार का

हा मां के उस दुलार का,

ज़िक्र है पिता के उस कीमती सिक्के का,

जिसकी कीमत में बहुत देर में समझा,


ज़िक्र मेरे घर का भी है,

उन गलियों का भी है,

दिल का एक हिस्सा जहा छूट गया,

हा मेरठ की उन गलियों का भी है,

जहा अखरी मर्तबा में उससे मिला था,

और क्या बताऊं ? 

कुछ बाते तुम्हारी भी है,


इस खत में एक कहानी लिखी है,

कभी सुनाऊंगा ये कहानी,

अभी इस खत का वक्त नहीं है,

फिर मिलूंगा कभी इस खत की कहानियों से,

फिर आंखे नम होंगी,


फिर जी लूंगा उन लम्हों को

अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लिए,

और आज लिखूंगा और एक खत,

दिल में थोड़ी चाहत लिए।


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