समलैंगिकता छुपाना
समलैंगिकता छुपाना
ये किरदार निभाना कितना मुश्किल है,,
मुखौटे पे एक और मुखौटा लगाना कितना मुश्किल है...
सभी की अपनी ख्वाहिश होती है अपनी पसंद होती है,
मैं एक लड़का हूँ और मेरी पसंद भी एक लड़का है
किसी को इतनी सी बात बताना कितना मुश्किल है...
ये ख़ुशी, ये दर्द सब ही दिल में दबाये बैठ जाता हूँ,
दुनिया के सामने ये समलैंगिक_एहसास जताना कितना मुश्किल है...
यहाँ छुप के बैठा हूँ अपनी लैंगिकता पसंद के कारण,
डर लगता है कोई पहचान न ले ये
समलैंगिकता छुपाना कितना मुश्किल है...
सच्चे मन से प्रेम है करते है हम दोनों लडके आपस में,
इस प्रेम के बदले भी हमको ये दर्द कितना हासिल है....
किसे दूँ दोष समझ नहीं आता मुझे ताने जमाना देता है,
लेकिन परायो से मुझे क्या, मुझे तो दुख है मेरे घर में ही मेरे क़ातिल है..
ये समलैंगिक_इश्क़ में भी कमजोर नहीं होता यार,
जुदा जिस्म से होंगे मग़र एक दूसरे मे हमारी रूहे शामिल है...
मैं कैसे कबूल करूँ कि हाँ समलैंगिक हूँ मैं, समाज,
परिवार, लोग क्या कहेंगे, तानो का डर भी तो मुझमें कामिल है.
अब अंदर से मुझे झंझोड़ती है समलैंगिकता मेरी
कि मैं अब दब के नहीं रह सकता,
अंदर छुपे उस शख्स को कैसे समझाऊँ कि
समलैंगिकता बाहर लाना कितना मुश्किल है।