कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं
लफ़्ज़ों ने किया आगाज़ जवाब मिला कुछ भी नहीं ,
इंतजार किया कितना जिंदगी में मिला कुछ भी नहीं।
हम बन गये शायर इश्क की राहों में चलकर .....
अधूरी सी रही तन्हा जिंदगी मिला कुछ भी नहीं।
सोचते रहे हर लम्हा क्या खता हुई हमसे जो रूठे वो,
मनाने की बात आई तो मुस्करा दिये मिला कुछ भी नहीं ।
तमन्ना छोड़ दी मैंने दिल ने अपना इरादा भी बदल दिया ,
हमने आँखों से बहाये समन्दर उफ्फ़ मिला कुछ भी नहीं।
जिंदगी की यही हकीकत है और यही तो फसाना हैं ,
रिश्ते में होता है पाकपन चाहत में 'राज "मिला कुछ भी नहीं ।।
