उसके और भी दीवाने थे शहर में.!
उसके और भी दीवाने थे शहर में.!
मोहब्बत कि लड़ाई में,
बड़े कमजोर हो गये...
बड़ा गुरूर था कि इश्क़ के अमीर थे हम,
सारी दौलत पल भर में खो गये...
मेरे होते हुये भी जब,
वो किसी और के हो गये...
गुमान टूटा मेरा तब आशिक़ी से,
जब पता चला कि...
उसके और भी दीवाने थे शहर में मेरे सिवाय...!
इश्क़ हैं किसी से तो,
उसपे हक़, अधिकार जमाना अच्छा नहीं...
ना ही कोई खेल हैं ये इश्क़,
और तू भी कोई बच्चा नहीं...
बड़ी सूझ-बुझ और जागरण कि जरूरत हैं इश्क़,
ख़ूबसूरत में भी बड़ा ख़ूबसूरत हैं इश्क़...
नौजवानों कि ज़रूरत हैं इश्क़,
पत्थर कि मूरत हैं इश्क़...
तब जाके उतरा इश्क़ का बुखार,
जब पता चला कि...
उसके और भी दीवाने थे शहर में मेरे सिवाय...!