STORYMIRROR

Zeetu Bagarty

Tragedy Inspirational Others

4  

Zeetu Bagarty

Tragedy Inspirational Others

हिंजड़ा बोल के ना करो हमारा अपमान

हिंजड़ा बोल के ना करो हमारा अपमान

1 min
238

कितने लोग कहते है हमें ना-मर्द 

तो कितने बोलते हे हमें छक्का 

कितना मजाक उड़ाते हमारे 

हर वक़्त मिल जाता है उनको मौका ।


कितने कठोर है यहाँ के लोग

करते हैं हमारा अपमान 

हम भी अपने मां के गोद में जन्म लिए है 

हम को भी कर लो आप थोड़ा सा सम्मान।


कितने लाड प्यार से पले बढ़े होते हैं। 

अपने माता-पिता के उंगलियां पकड़ कर 

समझता नहीं है हमें समाज 

कर देते हैं लोग हमको समाज से पर।


सभी लोग हमारे मजाक उड़ा के

 कहते है हमें ना मर्द

 घर वाले भी नहीं समझते हमारे पीड़ा

 ओर कर देते हैं घर से बेघर ।


विधाता ने बनाया है हमको 

हमारे भी कुछ है अरमान

सभी बोलते हर लोग समान है यहाँ

फिर क्यूं समाज छिन लेता है हमारा सम्मान।


रक्त मास से गढ़ा हुआ शरीर हमारा

जीने को लिए दो हमें थोड़ा सम्मान 

छक्का, हिंजड़ा, नामर्द बोल के 

ना करो हमें रास्ते पे अपमान।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy